अगर ये कह दो बग़ैर मेरे, नहीं गुज़ारा, तो मैं तुम्हारा
अगर ये कह दो बग़ैर मेरे, नहीं गुज़ारा, तो मैं तुम्हारा
या उस पे मब्नी कोई तअस्सुर, कोई इशारा, तो मैं तुम्हारा
ग़ुरूर-परवर, अना का मालिक, कुछ इस तरह के हैं नाम मेरे
मगर क़सम से जो तुम ने, इक नाम भी पुकारा, तो मैं तुम्हारा
तुम अपनी शर्तों पे खेल खेलो, मैं जैसे चाहे लगाऊँ बाज़ी
अगर मैं जीता तो तुम हो मेरे, अगर मैं हारा, तो मैं तुम्हारा
तुम्हारा आशिक़, तुम्हारा मुख़्लिस, तुम्हारा साथी, तुम्हारा अपना
रहा न इन में से कोई दुनिया में, जब तुम्हारा, तो मैं तुम्हारा
तुम्हारा होने के फ़ैसले को, मैं अपनी क़िस्मत पे छोड़ता हूँ
अगर मुक़द्दर का कोई टूटा, कभी सितारा, तो मैं तुम्हारा
ये किस पे ता'वीज़ कर रहे हो, ये किस को पाने के हैं वज़ीफ़े
तमाम छोड़ो, बस एक कर लो, जो इस्तिख़ारा, तो मैं तुम्हारा
🖋
@amir ameer
# Himayat Ali Meer
या उस पे मब्नी कोई तअस्सुर, कोई इशारा, तो मैं तुम्हारा
ग़ुरूर-परवर, अना का मालिक, कुछ इस तरह के हैं नाम मेरे
मगर क़सम से जो तुम ने, इक नाम भी पुकारा, तो मैं तुम्हारा
तुम अपनी शर्तों पे खेल खेलो, मैं जैसे चाहे लगाऊँ बाज़ी
अगर मैं जीता तो तुम हो मेरे, अगर मैं हारा, तो मैं तुम्हारा
तुम्हारा आशिक़, तुम्हारा मुख़्लिस, तुम्हारा साथी, तुम्हारा अपना
रहा न इन में से कोई दुनिया में, जब तुम्हारा, तो मैं तुम्हारा
तुम्हारा होने के फ़ैसले को, मैं अपनी क़िस्मत पे छोड़ता हूँ
अगर मुक़द्दर का कोई टूटा, कभी सितारा, तो मैं तुम्हारा
ये किस पे ता'वीज़ कर रहे हो, ये किस को पाने के हैं वज़ीफ़े
तमाम छोड़ो, बस एक कर लो, जो इस्तिख़ारा, तो मैं तुम्हारा
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@amir ameer
# Himayat Ali Meer


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