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Sunday, 13 October 2019
Thursday, 10 October 2019
Tuesday, 8 October 2019
Sunday, 6 October 2019
मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा तेरा वा'दा तो नहीं हूँ जो बदल जाऊँगा
मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा
तेरा वा'दा तो नहीं हूँ जो बदल जाऊँगा
सोज़ भर दो मिरे सपने में ग़म-ए-उल्फ़त का
मैं कोई मोम नहीं हूँ जो पिघल जाऊँगा
दर्द कहता है ये घबरा के शब-ए-फ़ुर्क़त में
आह बन कर तिरे पहलू से निकल जाऊँगा
मुझ को समझाओ न 'साहिर' मैं इक दिन ख़ुद ही
ठोकरें खा के मोहब्बत में सँभल जाऊँगा
🖋
साहिर लुधियानवी
Himayat Ali Meer
तेरा वा'दा तो नहीं हूँ जो बदल जाऊँगा
सोज़ भर दो मिरे सपने में ग़म-ए-उल्फ़त का
मैं कोई मोम नहीं हूँ जो पिघल जाऊँगा
दर्द कहता है ये घबरा के शब-ए-फ़ुर्क़त में
आह बन कर तिरे पहलू से निकल जाऊँगा
मुझ को समझाओ न 'साहिर' मैं इक दिन ख़ुद ही
ठोकरें खा के मोहब्बत में सँभल जाऊँगा
🖋
साहिर लुधियानवी
Himayat Ali Meer
इस क़दर टूट के चाहो मुझे पागल कर दो
अपने एहसास से छू कर मुझे संदल कर दो
मैं कि सदियों से अधूरा हूँ मुकम्मल कर दो
न तुम्हें होश रहे और न मुझे होश रहे
इस क़दर टूट के चाहो मुझे पागल कर दो
तुम हथेली को मिरे प्यार की मेहंदी से रंगो
अपनी आँखों में मिरे नाम का काजल कर दो
इस के साए में मिरे ख़्वाब दहक उट्ठेंगे
मेरे चेहरे पे चमकता हुआ आँचल कर दो
धूप ही धूप हूँ मैं टूट के बरसो मुझ पर
इस क़दर बरसो मिरी रूह में जल-थल कर दो
जैसे सहराओं में हर शाम हवा चलती है
इस तरह मुझ में चलो और मुझे जल-थल कर दो
तुम छुपा लो मिरा दिल ओट में अपने दिल की
और मुझे मेरी निगाहों से भी ओझल कर दो
मसअला हूँ तो निगाहें न चुराओ मुझ से
अपनी चाहत से तवज्जोह से मुझे हल कर दो
अपने ग़म से कहो हर वक़्त मिरे साथ रहे
एक एहसान करो इस को मुसलसल कर दो
मुझ पे छा जाओ किसी आग की सूरत जानाँ
और मिरी ज़ात को सूखा हुआ जंगल कर दो
🖋
वसी शाह
#Himayat Ali Meer
मैं कि सदियों से अधूरा हूँ मुकम्मल कर दो
न तुम्हें होश रहे और न मुझे होश रहे
इस क़दर टूट के चाहो मुझे पागल कर दो
तुम हथेली को मिरे प्यार की मेहंदी से रंगो
अपनी आँखों में मिरे नाम का काजल कर दो
इस के साए में मिरे ख़्वाब दहक उट्ठेंगे
मेरे चेहरे पे चमकता हुआ आँचल कर दो
धूप ही धूप हूँ मैं टूट के बरसो मुझ पर
इस क़दर बरसो मिरी रूह में जल-थल कर दो
जैसे सहराओं में हर शाम हवा चलती है
इस तरह मुझ में चलो और मुझे जल-थल कर दो
तुम छुपा लो मिरा दिल ओट में अपने दिल की
और मुझे मेरी निगाहों से भी ओझल कर दो
मसअला हूँ तो निगाहें न चुराओ मुझ से
अपनी चाहत से तवज्जोह से मुझे हल कर दो
अपने ग़म से कहो हर वक़्त मिरे साथ रहे
एक एहसान करो इस को मुसलसल कर दो
मुझ पे छा जाओ किसी आग की सूरत जानाँ
और मिरी ज़ात को सूखा हुआ जंगल कर दो
🖋
वसी शाह
#Himayat Ali Meer
Saturday, 5 October 2019
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हँस जो तअ'ल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं
दश्त में प्यास बुझाते हुए मर जाते हैं
हम परिंदे कहीं जाते हुए मर जाते हैं
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हँस
जो तअ'ल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं
घर पहुँचता है कोई और हमारे जैसा
हम तिरे शहर से जाते हुए मर जाते हैं
किस तरह लोग चले जाते हैं उठ कर चुप-चाप
हम तो ये ध्यान में लाते हुए मर जाते हैं
उन के भी क़त्ल का इल्ज़ाम हमारे सर है
जो हमें ज़हर पिलाते हुए मर जाते हैं
ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
हम हैं वो टूटी हुई कश्तियों वाले 'ताबिश'
जो किनारों को मिलाते हुए मर जाते हैं
🖋
Abbas Tabish
#Himayat Ali Meer
हम परिंदे कहीं जाते हुए मर जाते हैं
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हँस
जो तअ'ल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं
घर पहुँचता है कोई और हमारे जैसा
हम तिरे शहर से जाते हुए मर जाते हैं
किस तरह लोग चले जाते हैं उठ कर चुप-चाप
हम तो ये ध्यान में लाते हुए मर जाते हैं
उन के भी क़त्ल का इल्ज़ाम हमारे सर है
जो हमें ज़हर पिलाते हुए मर जाते हैं
ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
हम हैं वो टूटी हुई कश्तियों वाले 'ताबिश'
जो किनारों को मिलाते हुए मर जाते हैं
🖋
Abbas Tabish
#Himayat Ali Meer
अगर ये कह दो बग़ैर मेरे, नहीं गुज़ारा, तो मैं तुम्हारा
अगर ये कह दो बग़ैर मेरे, नहीं गुज़ारा, तो मैं तुम्हारा
या उस पे मब्नी कोई तअस्सुर, कोई इशारा, तो मैं तुम्हारा
ग़ुरूर-परवर, अना का मालिक, कुछ इस तरह के हैं नाम मेरे
मगर क़सम से जो तुम ने, इक नाम भी पुकारा, तो मैं तुम्हारा
तुम अपनी शर्तों पे खेल खेलो, मैं जैसे चाहे लगाऊँ बाज़ी
अगर मैं जीता तो तुम हो मेरे, अगर मैं हारा, तो मैं तुम्हारा
तुम्हारा आशिक़, तुम्हारा मुख़्लिस, तुम्हारा साथी, तुम्हारा अपना
रहा न इन में से कोई दुनिया में, जब तुम्हारा, तो मैं तुम्हारा
तुम्हारा होने के फ़ैसले को, मैं अपनी क़िस्मत पे छोड़ता हूँ
अगर मुक़द्दर का कोई टूटा, कभी सितारा, तो मैं तुम्हारा
ये किस पे ता'वीज़ कर रहे हो, ये किस को पाने के हैं वज़ीफ़े
तमाम छोड़ो, बस एक कर लो, जो इस्तिख़ारा, तो मैं तुम्हारा
🖋
@amir ameer
# Himayat Ali Meer
या उस पे मब्नी कोई तअस्सुर, कोई इशारा, तो मैं तुम्हारा
ग़ुरूर-परवर, अना का मालिक, कुछ इस तरह के हैं नाम मेरे
मगर क़सम से जो तुम ने, इक नाम भी पुकारा, तो मैं तुम्हारा
तुम अपनी शर्तों पे खेल खेलो, मैं जैसे चाहे लगाऊँ बाज़ी
अगर मैं जीता तो तुम हो मेरे, अगर मैं हारा, तो मैं तुम्हारा
तुम्हारा आशिक़, तुम्हारा मुख़्लिस, तुम्हारा साथी, तुम्हारा अपना
रहा न इन में से कोई दुनिया में, जब तुम्हारा, तो मैं तुम्हारा
तुम्हारा होने के फ़ैसले को, मैं अपनी क़िस्मत पे छोड़ता हूँ
अगर मुक़द्दर का कोई टूटा, कभी सितारा, तो मैं तुम्हारा
ये किस पे ता'वीज़ कर रहे हो, ये किस को पाने के हैं वज़ीफ़े
तमाम छोड़ो, बस एक कर लो, जो इस्तिख़ारा, तो मैं तुम्हारा
🖋
@amir ameer
# Himayat Ali Meer
चाँद, सितारे, फूल, परिंदे ,शाम ,सवेरा एक तरफ़
चाँद, सितारे, फूल, परिंदे ,शाम ,सवेरा एक तरफ़
सारी दुनिया उसका चरबा उसका चेहरा एक तरफ़
چاند ،ستارے ،پھول ،پرندے، شام سویرا ایک طرف
ساری دنیا اس کا چربہ اس کا چہرا ایک طرف
वो लड कर भी सो जाए तो उसका माथा चूमूँ मैं
उससे मुहब्बत एक तरफ़ है उससे झगड़ा एक तरफ़
وہ لڑ کر بھی سو جائے تو اس کا ماتھا چوموں میں
اس سے محبت ایک طرف ہے اس سے جھگڑا ایک طرف
जिस शय पर वो उँगली रख दे उसको वो दिलवानी है
उसकी ख़ुशियाँ सबसे अव्वल सस्ता महंगा एक तरफ़
جس شے پر وہ انگلی رکھ دے اس کو وہ دلوانی ہے
اس کی خوشیاں سب سے اول سستا مہنگا ایک طرف
सारी दुनिया जो भी बोले सब कुछ शोर-शराबा है
सबका कहना एक तरफ़ है उसका कहना एक तरफ़
ساری دنیا جو بھی بولے سب کچھ شور شرابا ہے
سب کا کہنا ایک طرف ہے اس کا کہنا ایک طرف
ज़ख़्मों पर मरहम लगवाओ लेकिन उसके हाथों से
चारा-साज़ी एक तरफ़ है उसका छूना एक तरफ़
زخموں پر مرہم لگواؤ لیکن اس کے ہاتھوں سے
چارہ سازی ایک طرف ہے اس کا چھونا ایک طرف
उसने सारी दुनिया माँगी मैने उसको माँगा है
उसके सपने एक तरफ़ है मेरा सपना एक तरफ़
اس نے ساری دنیا مانگی میں نے اس کو مانگ لیا
اس کے سپنے ایک طرف ہیں میرا سپنا ایک طرف
🖋
Varun Anand
सारी दुनिया उसका चरबा उसका चेहरा एक तरफ़
چاند ،ستارے ،پھول ،پرندے، شام سویرا ایک طرف
ساری دنیا اس کا چربہ اس کا چہرا ایک طرف
वो लड कर भी सो जाए तो उसका माथा चूमूँ मैं
उससे मुहब्बत एक तरफ़ है उससे झगड़ा एक तरफ़
وہ لڑ کر بھی سو جائے تو اس کا ماتھا چوموں میں
اس سے محبت ایک طرف ہے اس سے جھگڑا ایک طرف
जिस शय पर वो उँगली रख दे उसको वो दिलवानी है
उसकी ख़ुशियाँ सबसे अव्वल सस्ता महंगा एक तरफ़
جس شے پر وہ انگلی رکھ دے اس کو وہ دلوانی ہے
اس کی خوشیاں سب سے اول سستا مہنگا ایک طرف
सारी दुनिया जो भी बोले सब कुछ शोर-शराबा है
सबका कहना एक तरफ़ है उसका कहना एक तरफ़
ساری دنیا جو بھی بولے سب کچھ شور شرابا ہے
سب کا کہنا ایک طرف ہے اس کا کہنا ایک طرف
ज़ख़्मों पर मरहम लगवाओ लेकिन उसके हाथों से
चारा-साज़ी एक तरफ़ है उसका छूना एक तरफ़
زخموں پر مرہم لگواؤ لیکن اس کے ہاتھوں سے
چارہ سازی ایک طرف ہے اس کا چھونا ایک طرف
उसने सारी दुनिया माँगी मैने उसको माँगा है
उसके सपने एक तरफ़ है मेरा सपना एक तरफ़
اس نے ساری دنیا مانگی میں نے اس کو مانگ لیا
اس کے سپنے ایک طرف ہیں میرا سپنا ایک طرف
🖋
Varun Anand







